यूं नामुश्किल भी न था तेरी यादों की गलियों से गुज़रना,
वो कूचे आमादा थे कि हम उनमें ही खो जायें कहीं,
ज़हन फिर भी याद दिलाता रहा कि हम जिंदा हैं अभी,
वो जहाँ ऐसा ही है जहाँ कोई किसी का साथ न निभा सके,
साथ दो पल का हो या सदियों का वहां हर रिश्ता टूट जाता है I
वो कूचे आमादा थे कि हम उनमें ही खो जायें कहीं,
ज़हन फिर भी याद दिलाता रहा कि हम जिंदा हैं अभी,
वो जहाँ ऐसा ही है जहाँ कोई किसी का साथ न निभा सके,
साथ दो पल का हो या सदियों का वहां हर रिश्ता टूट जाता है I
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