# कविताएँ # अनवरत purnimadubey 03:57 निर्झर कहता कल-कल बहता काल चक्र का हर रंग सहता हर पड़ाव पर एक चुनौती जैसे इसकी बाट जोहती राह मे... Read more No comments:
# कविताएँ # अंकुर purnimadubey 11:44 एक अंकुर फूटा धरती से, क्या तुमने आवाज़ सुनी ? एक सृजन फिर हुआ धरा पर, क्या तुमने कोई गूंज सुनी ? एक अंकुर से ... Read more No comments:
# कविताएँ # सपने purnimadubey 11:39 आशाओं के मोती चुन कर रेशम की हर डोर को बुन कर तिनका तिनका जोड़ बनाया सपनों का एक महल सजाया सोते सपने जागते सपने... Read more No comments: