निर्झर कहता कल-कल बहता
काल चक्र का हर रंग सहता
हर पड़ाव पर एक चुनौती
जैसे इसकी बाट जोहती
राह में आते कितने पत्थर
कितनी नदियां कितने जंगल
चीर के राहों की बाधायें
चले बनाने अपनी राहें
कल-कल करती धारा इसकी
एक नये संगीत को रचती
करता प्रेरित इसका गीत
समय से चलते रहना मीत
जीवन की हर सोच में बसता
आगे बढ़ना हर दम कहता
एक अनवरत सफर पर चलता
कल-कल करता निर्झर बहता
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