उन्मुक्त गगन में अपनी आज़ादी पर गर्व करते परिंदे, हमेशा हमारे मन में तरंगे उठाते हैं I हमारा मन भी इनको देख कर, आज़ाद हो जाने को मचलने लगता है I कभी ख़ुद से ही रूठ कर, हम सबसे दूर जाना चाहते हैं या यूँ कहें कि ख़ुद से ही दूर जाना चाहते हैं और ऐसे में यदि हम बेमंज़िल ही चल पड़ें, तो यकीन मानिये, किसी आज़ाद परिंदे को देखते ही मंत्रमुग्ध हो कर, उसे ही निहारेंगे I उसकी ज़िन्दगी, आज़ादी और बेफिक्री को सराहेंगे I पर असलियत में तो वो परिंदा भी अपने जीवन से संतुष्ट या असंतुष्ट हो सकता है I ये केवल नज़रिए की बात है, और बंधन महज़ कल्पना में ही हमें बांधे रखते हैं, तो क्यों न अपने मन के सारे बंधनों को तोड़ कर, खुद को परिंदों की तरह ख़ुद से आज़ाद कर लें I यक़ीनन हम ख़ुद को खोज ही लेंगे, जिंदगी के इस वृहद आसमान में I मुस्कुराते हुए अपने ख़यालों के पंख फैला कर खुद को आज़ादी से उड़ता हुआ पायेंगे I
उन्मुक्त गगन में अपनी आज़ादी पर गर्व करते परिंदे, हमेशा हमारे मन में तरंगे उठाते हैं I हमारा मन भी इनको देख कर, आज़ाद हो जाने को मचलने लगता है I कभी ख़ुद से ही रूठ कर, हम सबसे दूर जाना चाहते हैं या यूँ कहें कि ख़ुद से ही दूर जाना चाहते हैं और ऐसे में यदि हम बेमंज़िल ही चल पड़ें, तो यकीन मानिये, किसी आज़ाद परिंदे को देखते ही मंत्रमुग्ध हो कर, उसे ही निहारेंगे I उसकी ज़िन्दगी, आज़ादी और बेफिक्री को सराहेंगे I पर असलियत में तो वो परिंदा भी अपने जीवन से संतुष्ट या असंतुष्ट हो सकता है I ये केवल नज़रिए की बात है, और बंधन महज़ कल्पना में ही हमें बांधे रखते हैं, तो क्यों न अपने मन के सारे बंधनों को तोड़ कर, खुद को परिंदों की तरह ख़ुद से आज़ाद कर लें I यक़ीनन हम ख़ुद को खोज ही लेंगे, जिंदगी के इस वृहद आसमान में I मुस्कुराते हुए अपने ख़यालों के पंख फैला कर खुद को आज़ादी से उड़ता हुआ पायेंगे I
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