"माँ /बहन /पत्नी /बेटी /मित्र /सहकर्मी /मार्गदर्शक"
चंदन के गुणों से प्रकृति ने नारी को भी अलंकृत किया है, जैसे चंदन पूरे वन को अपनी सुगंध से सराबोर करता है, उसी तरह नारी भी अपने हर रूप में, अपनों के जीवन को सुगन्धित करती है I ये सुगंध है, उसके स्नेह की जो अलग-अलग रूपों में वो, अपनों पर लुटाती है I जीवन में "परिवर्ताशीलता का नियम", यक़ीनन नारी के स्नेह पर ही आकर टूटता है, क्योंकि सब कुछ तो परिवर्तित हो सकता है, पर नारी का स्नेहमयी स्वाभाव नहीं I प्रकृति ने नारी को स्नेह का जो आभूषण प्रदान किया है , वो कर्ण के कवच और कुंडल सा ही तो है, जो कभी उससे दूर नहीं हो सकता I नारी को इन आभूषणों से सुसज्जित करने के लिए प्रकृति को धन्यवाद और अपने सभी रूपों में "हमारा जीवन" सुसज्जित करने के लिए "नारी" का आभार I
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