बहता पानी, उड़ते पंछी, गिरती बर्फ, दिन और रात का मेल यानि साँझ, टिमटिमाते तारे, नीला आसमान, सफेद बादलों का झुण्ड, बारिश, डर, अचरज, खूबसूरती या प्रेम ये सभी यूँ ही नज़रअंदाज़ तो नहीं किये जा सकते I दृश्यों से मन में उठने वाली भावनायें दिल से निकलकर, शब्दों का सहारा लेकर, जीवंत हो उठती हैं I जो भी कागज़ पर कलम से निकलता है, वो हामारी ही आवाज़ है और अपनी या किसी और की आवाज़ जब दिल से निकली हो, तो दिलों तक ज़रूर पहुँचती है I शब्द हमें तभी आकर्षित करते हैं, जब उनमें भावनायें सजाई गई हों I भावनाओं को दिल की आवाज़ बनाकर, शब्दों में पिरोने से बनी, "कविता" हमेशा आकर्षित करती है I
Tuesday 21 March 2017
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